कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी।

लेखक रामचंद्र तिवारी को ओस की बूंद अपनी कहानी सुनाते हुए सूर्य की किरणों की प्रतीक्षा कर रही थी। वह अपने अस्तित्व में आने से लेकर अपने जीवन के यात्रा-वृतांत को विस्तार पूर्वक लेखक को कह सुनाती है। ऐसा करते समय ओस की बूँद सूर्य की प्रतीक्षा कर रही है ताकि वह ताप पाते ही भाप बनकर उड़ सके|


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